Monday, June 30, 2014

सिरीरागु बाणी रविदास जी की l


तोही मोही मोही तोही अंतर कैसा l

कनक कटिक जल तरंग जैसा l l

जउपै हम न पाप करंता  अहे अनंता l

पतितपावन  नामु कैसे हुंता l l रहाउ ll

तुम्ह जु नाइक आछहु अंतरजामी l

प्रभ ते जनु जानीजै

जन ते सुआमी l l

सरीरु आराधै मोकउ बीचारु देहु l

रविदास समदल समझावै कोऊ ll 

Wednesday, May 14, 2014

Budh Purnima

ध्यान में है वास्तविक सुख
ज्ञान में है असीम शांति
सदा रहे प्रभु का ध्यान
यही कहते है बुद्ध भगवान..!