न त्वहं कामये राज्यम्र, न स्वर्ग न पुनर्मव्म्र
कामये दुःख त्प्तानाम्र, प्राणी नान्र आर्तिनाशन्म्र
नहीं चाहिए राज्य मुझे, न स्वर्ग न जन्म लू दूजा
केवल दीन दुखी की सेवा , यही कामना पूजा
यानी दीन दुखियों की सेवा ही परम सुखदायक है.
कामये दुःख त्प्तानाम्र, प्राणी नान्र आर्तिनाशन्म्र
नहीं चाहिए राज्य मुझे, न स्वर्ग न जन्म लू दूजा
केवल दीन दुखी की सेवा , यही कामना पूजा
यानी दीन दुखियों की सेवा ही परम सुखदायक है.
No comments:
Post a Comment